कार्ययोजना:
राज्य शासन द्वारा नि:शक्त व्यक्तियों को समग्र रूप से पुनर्वसित कर उन्हें समाज
की मुख्य धारा से जोडे जाने हेतु विशेष प्राथमिकता वाले क्षेत्रो में लिया गया है।
राज्य शासन की मंशा के अनुरूप नि:शक्त व्यक्तियों को शिक्षण, प्रशिक्षण, रोजगार,स्वरोजगार,
उपचार एवं पुनर्वास हेतु उनके शारीरिक मानसिक आर्थिक एवं सामाजिक रूप से पुनर्वसित
किये जाने हेतु कार्ययोजना निम्नानुसार है:
शिक्षा:
गंभीर रूप से मानसिक नि:शक्त बच्चों के लिए जिला रायसेन एवं खरगौन में 2 विशेष स्कूल
की स्थापना
मानसिक एवं सेरेबल पाल्सी से ग्रस्त नि:शक्त बच्चों के लिए जिला डिण्डौरी,कटनी,पन्ना,नीमच
एवं रायसेन में स्वैच्छिक संस्थाओं के माध्यम से विशेष स्कूल की स्थापना
दृष्टि बाधित नि:शक्त व्यक्तियों के लिए जिला होशंगाबाद,शाजापुर,मन्दसौर,छतरपुर
एवं भिण्ड में स्वैच्छिक संस्थाओं के माध्यम से विशेष स्कूल की स्थापना
श्रवण बाधित नि:शक्त व्यक्तियों के लिए जिला राजगढ,झाबुआ,बुरहानपुर,श्योपुर एवं
सिवनी में स्वैच्छिक संस्थाओं के माध्यम से विशेष स्कूल की स्थापना
नि:शक्त व्यक्तियों के लिए संचालित शासकीय संस्थाओं का उन्नयन कर विस्तार किया
जाना
सामान्य स्कूलों के शिक्षकों को नि:शक्त बच्चों के शिक्षण हेतु 90 दिवसीय आधार
पाठ्रयक्रम में भोजमुक्त विश्वविद्यालय के माध्यम से प्रशिक्षण
स्कूल में पंजीबद्व नि:शक्त बालक/बालिकाओं कोदिव्यांगता परिचय पत्र उपलब्ध कराया
जाना।
प्रशिक्षण:
आई.टी.आई./पोलेटेक्निक में नि:शक्त व्यक्तियों के लिए उपयुक्त पाठ्यक्रमों का चिन्हांकन
का प्रशिक्षण
दिव्यांगजनों को व्यवसायिक प्रशिक्षण हेतु स्वैच्छिक/निजी संस्थाओं को जोडा जाना।
स्वरोजगार:
हितग्राहीमूलक योजनाओं के तहत 3 प्रतिशत आरक्षण का लाभ सुनिश्चित किया जाना
प्रधानमंत्री रोजगार योजना, दीनदयाल रोजगार योजना एवं रानी दुर्गावती रोजगार योजना
के तहत 6 प्रतिशत आरक्षण का लाभ सुनिश्चत किया जाना।
रोजगार:
शासकीय सेवा में नि:शक्त व्यक्तियों के लिये चलाये जा रहे अभियान में नि:शक्त व्यक्तियों
के लिए विभिन्न विभागों / सार्वजनिक उपक्रमों / निगम / मण्डलों में रिक्त पद की
शत प्रतिशत पूर्ति की जाना
संविदा शाला शिक्षक के तहत पंचायतीराज संस्थाओं/स्थानीय निकायों में नि:शक्त व्यक्तियों
के लिए 6 प्रतिशत आरक्षण के विरूद्व नियुक्ति सुनिश्चित की जाना।
विशेषज्ञ शल्य चिकित्सा: ऐसे नि:शक्त व्यक्ति जिन्हें शल्य चिकित्सा की आवश्यकता
है। उनकी शल्य क्रिया जिला स्तर पर विशेषज्ञ चिकित्सकों के माध्यम से की जावेगी।