स्पर्श अभियान :उद्‌देश्य
स्पर्श अभियान :उद्‌देश्य
 
उद्‌देश्य/Objectives
The SPARSH project aims to facilitate a common integrated platform, enabling environment and ICT tool
1. to leverage the use of ICT to facilitate effective management and administration of the activities related to the welfare of target population in a manner so as to ensure better services and response to the large number of PwDs, stakeholders & partners and enhancing the quality of services by responsive and transparent governance.
2. for the proactive and effective implementation of various provisions as per the spirit of the ‘Persons with Disabilities (Equal Opportunities, Protection of Rights and Full Participation) Act, 1995 (enacted under Article 253 of the Constitution read with item No. 13 of the Union List). The act gives effect to the proclamation on the full participation and equality of the persons with disabilities and provides for their education, employment, social security, etc. The implementation of the Act requires a multi-sectoral collaborative approach by the various departments and local bodies.
3. to facilitate identification and registration of Persons with Disabilities, Mentally Retarded, Mentally Disabled, and dependent old age persons that can not earn.
4. for creation of an online, comprehensive and integrated database of all identified persons of target groups, online registration of their detailed profiles, needs and requirements of assistance, aids, instruments/equipments, surgery, benefits under various schemes, employment, assistance for self-employment/marriage etc
5. to ensure proactive and timely assistance by all concerned agencies /departments /Institutions/offices for the empowerment of identified and registered persons.
6. to facilitate a common platform for creating awareness on welfare schemes being run by government for the persons with disabilities, Mentally Retarded, Mentally Disabled, old age etc.
7. for effective monitoring of actions being taken by all involved departments/agencies in respect to the registered persons 7. to identify Children With Special Needs (CWSN) and facilitate necessary support for their education/enrolment, organize special medical camps and their tracking.
8. to create awareness and guidance for early detection of disabilities
9. creation of system for early detection of the symptoms that may lead to disabilities and support system (i.e. necessary interventions, counselling & medical assistance (provision of aids & appliances) for prevention of disabilities
10. for ensuring economy, equity, efficiency and effectiveness of use of Human and Financial Resources in managing, controlling and synchronizing the large operations using ICT interventions.
11. to introduce transparency and efficiency in all operations and functions and check on leakages.

मानसिक मंदत्ता, मानसिक रूग्णता और ऐसे निराश्रित वृद्व जो अपनी जीविका चलाने में असमर्थ हैं का समग्र पुर्नवास जिसके अन्तर्गत :-
  • मानसिक मंदत्ता, मानसिक रूग्णता और ऐसे निराश्रित वृद्व जो अपनी जीविका चलाने में असमर्थ हैं जिनके कोई वैद्य उत्तराधिकारी, रक्त संबंधी रिश्तेदार भी नहीं है कि पहचान करना।
  • ऐसे व्यक्तियों को अधिकार, समान अवसर शासन द्वारा उपलब्ध कराये जा रही सुविधाओं के बारे जागरूक करना।
  • इन लोगों के लिए सकारात्मक एवं बाधारहित वातावरण का निर्माण कर समग्र पुर्नवास करना, जिसके अन्तर्गत शैक्षणिक, प्रशिक्षण एवं उनके लिए आश्रय की व्यवस्था करना।
  • मानसिक मंदत्ता, मानसिक रूग्णता और ऐसे निराश्रित वृद्व जो अपनी जीविका चलाने में असमर्थ हैं उन्हें शासन द्वारा चलाये जा रही योजना की जानकारी देकर लाभान्वित करना।
  • चिन्हित हितग्राहियों को स्वावलम्बी बनाने की दिशा में कार्य करना। इस संबंध में स्वयं सेवी संस्थाओं के माध्यम से प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन करना।
  • चिन्हित व्यक्तियों के लिए अधिनियम के प्रावधान के तहत अभिभावक की नियुक्ति करना एवं अभिभावक द्वारा किये जा रहे कार्यों एवं शासन द्वारा उपलब्ध कराई जा रही सहायता का लेखा जोखा के लिए एक मूल्याकंन कार्ड उपलब्ध कराना।
  • चिन्हित हितग्राहियों के समग्र पुर्नवास हेतु संसाधनों को देखते हुए भावी योजना तैयार कराकर क्रियान्वित करना।
  • चिन्हित हितग्राहियों के अभिभावकों तथा शासन के अधिकारियों के साथ भावनात्मक संबंध स्थापित करना, ताकि हितग्राहियों के पुर्नवास की दिशा में जीवन्त सम्पर्क बना रहे और सहायता उपलब्ध कराने की निरन्तरता बनी रहे।
अस्थिबाधित, दृष्टिबाधित, श्रवणबाधित, मंदबुद्धि निःशक्त व्यक्तियो का समग्र पुनर्वास, जिसके तहत
  • निःशक्त व्यक्तियों की पहचान एवं उनकी जरूरतों का आंकलन करना तथा उनकी जरूरतों की पूर्ति की स्थायी व्यवस्था करना।
  • निःशक्त व्यक्ति (समान अवसर, अधिकार संरक्षण और पूर्ण भागीदारी ) अधिनियम 1995 के तहत ऐसे निःशक्त व्यक्ति जो शासन द्वारा प्रदत्त सुविधाओं से वंचित है, उन्हें शासन द्वारा संचालित योजनाओं के बारे में जागरूकता बढ़ाना तथा प्रत्येक स्तर पर उनकी बराबर की भागीदारी सुनिश्चित करना।
  • मानसिक मंदता, मानसिक रूग्णता और ऐसे निःशक्त जो अपनी जीविका चलाने में असमर्थ है जिनके कोई वैध उत्तराधिकारी, रक्त संबंधी रिश्तेदार भी नहीं है की पहचान करना।
  • ऐसे लोगों के लिए सकारात्मक एवं बाधारहित वातावरण का निर्माण कर समग्र पुनर्वास करना, जिसके तहत शिक्षण, प्रशिक्षण,कौशल उन्नयन एवं उनके लिए आश्रय की स्थापना करना।
  • चिन्हित हितग्राहियों के समग्र पुनर्वास हेतु संसाधनों को देखते हुए भावी योजना तैयार कराकर क्रियान्वित करना।
  • विकासखण्ड स्तर पर मेलों का आयोजन किया जाकर चिन्हांकन, चिकित्सीय परीक्षण एवं दस्तावेजीकरण कार्य करना।
  • निःशक्तों को सेवा प्रदाय हेतु जिला स्तरीय मेलों का आयोजन करना, निःशक्तों को स्कूल चलो अभियान से जोड़ना, कौशल उन्नयन के लिए निःशक्तों का प्रशिक्षण प्रारम्भ करना, शासकीय तथा निजी सस्थानों में रोजगार हेतु विशेष अभियान चलाना।
संस्थागत कार्य
  • निःशक्तों के शासकीय स्कूल/ छात्रावास के सुदृढ़ीकरण हेतु अभियान चलाना, निःशक्त सेवाओं से जुड़ी शासकीय/अशासकीय संस्थाओं में आधारभूत सुविधाओं का विस्तार करना।
  • अभियान में निःशक्तों की सेवा से जुड़े हुए नागरिकों/संस्थाओं का सहयोग लेना।
  • निःशक्तों के प्रशिक्षण/कौशल उन्नयन हेतु परिवहन एवं ठहरने की समुचित व्यवस्था करना।
  • निःशक्तों के स्वावलम्बन हेतु पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा संचालित योजनाओं एवं अन्य विभाग की योजनाओं में लाभ देना।
  • ग्रामीण सर्वे कार्य में ग्राम पंचायत सचिव, सहायक, मेट, पीसीओ एवं एडीओ से कार्य लेना।
  • नगरीय सर्वे कार्य में नगरीय निकायों के कर्मियों के साथ ही इस क्षेत्र से जुड़ी संस्थाओं एवं कलेक्टर द्वारा चयनित संस्थाओं से कार्य लेना। इस हेतु ग्रामीण एवं नगरीय क्षेत्रों के लिए सहायक नोडल अधिकारी नियुक्त कर मुखय कार्यपालन अधिकारी, जनपद पंचायत, मुखय नगरपालिका अधिकारी, नगरपालिका एवं मुखय नगरपालिका अधिकारी, नगर पंचायत का आवश्यक सहयोग लेना।
सर्वेक्षण
  • जिलों में पूर्व से उपलब्ध डाटा को जनपद/नगरीय निकायों के मार्फत प्रगणकों को उपलब्ध कराना।
  • निःशक्त व्यक्तियों के सर्वेक्षण को अद्यतन करने हेतु जिला स्तर पर विषय विशेषज्ञों के माध्यम से मास्टर टे्रनर्स को प्रशिक्षण देना।
  • सर्वेक्षण को अद्यतन किये जाने हेतु नामांकित कर्मचारियों को जनपद/नगरीय निकाय स्तर पर प्रशिक्षित मास्टर टे्रनर्स के माध्यम से प्रशिक्षण प्रदान करना।
  • सर्वेक्षण दल के प्रगणकों को अद्यतन प्रपत्र उपलब्ध कराना।
  • प्रगणकों द्वारा ग्रामीण /नगरीय निकाय क्षेत्रों में घर-घर जाकर विहित प्रपत्रों में निःशक्तों की जानकारी संकलित करना तथा प्रथम दृष्टया प्रगणक के अनुमान के आधार पर जो 40 प्रतिशत से अधिक निःशक्त है उसे अस्थायी स्पर्श कार्ड अपने हस्ताक्षर से जारी करना।
  • सर्वेक्षण अनुसार उक्त डाटा को कम्प्यूटराईज्ड करना जिसके निर्देश पृथक से जारी होंगे।
विकासखण्ड स्तरीय मेले
  • विकासखण्ड स्तर पर जनपद पंचायत/नगरीय निकाय में स्वास्थ्य परीक्षण शिविर हेतु विषय विशेषज्ञ चिकित्सकों की नियुक्ति
  • जहां बड़े नगरीय निकाय है एवं 500-1000 तक हितग्राही हो सकते है वहां नगरीय निकायों का पृथक से शिविर करें। भोपाल, इन्दौर,ग्वालियर, उज्जैन,जबलपुर जैसे बड़े नगर निगमों में वार्डो का समूह बनाकर दो या तीन शिविर पृथक-पृथक कर सकते है।
  • शिविर स्थल पर निःशक्तों के लिए संचालित योजनाओं के तहत पृथक-पृथक स्टाल, समुचित पेयजल व्यवस्था।
  • पूर्व में पात्र निःशक्तों को पुराने प्रमाण-पत्र के आधार पर नये प्रमाण-पत्र का प्रारूप सभी पात्र एवं चिन्हांकित निःशक्तों को मौके पर उपचार हेतु आवश्यक औषधि, दवाइयां/ सहायक उपकरण की उपलब्धता सुनिश्चित करना।
  • नये हितग्राहियों का चिकित्सा परीक्षण एवं नये चिकित्सा प्रमाण-पत्र जारी करना।
  • शल्य चिकित्सा योग्य निःशक्तों का चिन्हांकन कर उनकी शल्य चिकित्सा कहां व कैसे होगी जानकारी देना।
  • विशेष आवश्यकताओं वाले निःशक्त बच्चों के लिए विशेष स्कूलों में भेजने हेतु स्कूल चलो अभियान से जोड़ना, स्वैच्छिक संस्थाओं के माध्यम से विशेष स्कूल में प्रवेश की कार्यवाही सुनिश्चित करना।
  • कैलीपर्स, कृत्रिम हाथ, कत्रिम पैर एवं आर्थोपैडिक शूज निःशक्तों के नाप लिये जाकर ही प्रदाय किया जाना श्रेयस्कर होगा। इस हेतु सेवा शिविर स्थल पर निर्माणक एजेन्सी के प्रतिनिधि को आमंत्रित कर हितग्राही को उपकरण प्रदाय कर उपकरण के उपयोग संबंधी प्रशिक्षण आदि प्रदान करना।
जिला स्तरीय मेले
  • निःशक्तों की आवश्यकता के अनुरूप ट्रायसाइकिल, व्हील चेयर, बैसाखी, श्रवण यंत्र, छड़ी, चश्मे आदि का वास्तविक आंकलन कर नामांकित एजेन्सी से सेवा शिविर के आयोजन के पूर्व स्थल पर कृत्रिम अंग/सहायक उपकरण की उपलब्धता सुनिश्चित करना।
  • आई.टी.आई./पॉलिटेकनिक/स्वैच्छिक संस्थाओं की संयुक्त बैठक समय-समय पर आयोजित कर निःशक्तों को स्वरोजगारोन्मुखी टे्रडर्स में प्रशिक्षण हेतु अल्पकालीन/मध्यमकालीन/दीर्घकालीन पाठ्‌यक्रम का निर्धारण कराया जाकर प्रशिक्षण की गतिविधियां निःशक्तता के प्रत्येक संवर्ग के लिए प्रारम्भ किया जाना।
  • निःशक्तों को सेवा प्रदाय हेतु प्रत्येक स्तर पर जनप्रतिनिधियों के माध्यम से जन सामान्य के लिए अपील जारी करना, मीडिया से सहयोग लेकर पर्याप्त प्रचार-प्रसार करना।
  • चिन्हित व्यक्तियों को सर्वेक्षण के दौरान अस्थायी स्पर्श कार्ड वापस लेकर जिला स्तर पर आयोजित शिविरों के माध्यम से स्थायी स्पर्श कार्ड उपलब्ध कराना ।
  • मानसिक मंदता, मानसिक रूग्णता से ग्रस्त निःशक्त व्यक्तियों को निःशक्त अधिनियम 1995 के अन्तर्गत गार्जियनशिप दिलाना। यह कार्य निरन्तर जारी रखना।
  • इस अभियान के दौरान समाजसेवी, दानदाताओं द्वारा उपलब्ध कराई गई सामग्री कलेक्टर द्वारा उसी शर्त पर स्वीकार की जायेगी जब वह अच्छे गुणवत्ता की हो ओर निःशक्तों के लिए उपयोगी हो।